"प्रीत"
"प्रीत"
कुछ साथ मिला उनका ऐसा,
संग हंसना जीना सीख लिया ,
औरों की बात नहीं करते बस,
जीने का बहाना ढूंढ लिया।
कहने सुनने की बात नहीं,
यहाँ मौन शब्दों पर भारी है ,
बिन कहे जो समझे बात सभी,
ऐसी साझेदारी अपनी है।
रिश्तों में बंदिश नहीं यहाँ ,
बस "प्रीत" जुड़ी मन की ऐसी,
मन तुझमे बसा तुम दिल में बसे,
बस और भला अब चाहे क्या।
"प्रीत" की रीत यही है शायद,
बिन बोले कह जाए दिल सब।
