परेशानी
परेशानी
जीवन के चारों तरफ है परेशानी परेशानी
घर के बाहर कदम रखो तो
सामने आती परेशानी
घर के अंदर कदम रखो
तो परेशानी ।
क्या कहूँ किसे कहूँ
समझ नहीं पाता हूँ
दिल में है कुछ अलफ़ाज
जिसे में किसी से कह
नहीं सकता हूँ ।
सिर्फ क्षण भर मिलता हूँ उससे,
जो साथ है मेरे सदियों से
मिलता हूँ मैं उससे
हर चाँदनी रात में
मिलता मैं नियन्ता से ।
जब जाता उसके धाम
तब याद नहीं आता
और कुछ काम ।
पूरे दिन की गाथा गा
देता उसके सामने
शांती से बैठा रहता
वो मेरे सामने ।
वहीं बैठकर सिखा
देता मुझे,
तू भी शांती से
रहना सबसे ।
ये कलम खुशमिज़ाज
हो जाती है उससे मिलके
पर इसकी भी है कुछ भावनाएँ
जो आज हम कोरे कागज़
पर लिख रहे।