प्रेम और आकर्षण
प्रेम और आकर्षण
जेल
के
भीतर
का
कैदी
कि
तरह है
प्रेम
और
आकर्षण है
भौंरों
कि
तरह है
आकर्षण
स्वच्छंद है
प्रेम
बंधन युक्त है
आकर्षण
और
प्रेम में
कोई
तुलना
नहीं है
दोनों में
किसी
तरह का
सामंजस्य
नहीं है
ना ही
आकर्षण के
गर्भ से
प्रेम
पैदा
होता है
ना ही
प्रेम के
गर्भ से
आकर्षण
पैदा
होता है।