Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

Abstract

पोती

पोती

1 min
8


दादा- दादी की प्राण है

खुशियों का संसार है

बेटियों की प्रतिनिधि सरीखी

पोतियों का स्थान है।

पोतियों का अलग ही जलवा है,

दादा- दादी संग अद्भुत अनुबंध है

मम्मी- पापा संग कम- से -कम

दादी संग कटता सारा समय है।

दादा के सपनों की जान है

दादी का सारा अरमान है

बेटी ससुराल चली जायेगी

पोती बुआ का स्थान पा जायेगी।

दादा को दुलराती, मस्के मारती

दादी की गोद में महारानी सी लगती,

दादा -दादी की छड़ी सहेजती

अपने हाथों से दवा खिलाती

कभी दादा तो कभी दादी की थाली से

खुद खाती, कभी उन्हें खिलाती

अपने कपड़ों पर गिराती, 

खुद ही साफ़ करने की उत्सुकता में

और गंदे कर लेती,

दादी बलिहारी जातीं,

दादा की प्यारी डाँट खाती

दादी की गोद में बैठ

बड़ी भोली बन जाती।

दादा दादी के लिए खिलौना है

ओढ़ना, बिछौना है,

सुबह,शाम, दिन,रात है

उनके जीवन का सबसे मजबूत आधार है। 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract