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फटे जूते

फटे जूते

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फटे जूते पहनकर आसमां को 

पाने की हसरत रखता हूँ 

मैं ग़रीब-गाँव का बेटा हूँ, 

तूफ़ाँ से भिड़ जाने की फ़ितरत रखता हूँ।


कोहरा घना हो तो क़दम 

पीछे खींच लेते हैं धुरंधर 

सीना चीर के उसका गुज़र 

जाने की हिम्मत रखता हूँ। 


बंजर हुए खेतों में सोना उगाया है 

पानी की बहती धार को रास्ता दिखाया है। 

मेहनत की आग में तन को तपाया है 

दिन रात एक कर पसीना बहाया है।


हर मैदान फ़तह करने की 

हिम्मत रखता हूँ।

मैं ग़रीब-गाँव का बेटा हूँ, 

तूफ़ाँ से भिड़ जाने की फ़ितरत रखता हूँ।


ना सागर की गहराई से&

nbsp;मन घबराया है

ना पर्वत की ऊँचाई से सर चकराया है। 

छोटे छोटे क़दमों से बड़े सपनों को पाया है

काँटों भरी राह पर फूलों से रास्ता बनाया है। 


मैं अपनी माँ के 

आशीष पर गुमान करता हूँ 

मैं ग़रीब-गाँव का बेटा हूँ, 

तूफ़ाँ से भिड़ जाने की फ़ितरत रखता हूँ।


वो जो हँसते थे मेरी विफलताओं पर

आज बजाते हैं ताली मेरी सफलताओं पर। 

कमज़ोरियों को मैंने अपनी ताक़त बनाया है

कौन क्या कहेगा, उन बातों को ठुकराया है।


कर्म प्रधान मेरा, 

निरंतर काम करता हूँ।

मैं ग़रीब-गाँव का बेटा हूँ, 

तूफ़ाँ से भिड़ जाने की फ़ितरत रखता हूँ।


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