फरिश्तो को अभिनन्दन
फरिश्तो को अभिनन्दन
भगवान तो धरती पर नहीं आते,
अपने दूत को भेजते हैं हमारी रक्षा के लिए।
ऐसी वैश्विक महामारी में,
अपने अपनों से दूर हो गए।
लेकिन इन फरिश्तों ने दिन देखा ना रात....
अपना घर बार छोड़कर,
हम सब की जिंदगी बचाने निकल पड़े हैं।
फिर कैसे हम कह सकते हैं...
कि प्रभु हमारी सुनता नहीं,
कोई न कोई सहारा वह हमको भेज देता है
चारों तरफ इतना हाहाकार मचा है..
क्या इनके दिलों में दर्द नहीं होता,
इनका भी परिवार है।
यह तो ऐसे फरिश्ते हैं जो बिना किसी कारण,
आप सब की सहायता कर रहे हैं।
चाहे वह वीर सिपाही हो, या कोई नर्स हो,
या कोई डॉक्टर हो, या कोई सफाई कर्मचारी हो।
चाहे नल बनाने वाला है, या बिजली वाला हो,
सब बिना कहे हमारी सहायता के लिए खड़े हैं।
वाह रे यह कैसी विडंबना है….
जिसमें अपनी ही परछाई ने हमें छोड़ दिया,
पर इन फरिश्ता ने हमेशा हमारा साथ दिया।
सब फरिश्तों को हमारा सलाम।
