STORYMIRROR

पानी बहे जा रहा है!

पानी बहे जा रहा है!

1 min
27.2K


पग पग रखता आदमी संभालकर,

भविष्य से चिंतित, इतिहास से हारकर,

समय का चक्र घूमे जा रहा है,

पानी बहे जा रहा है।

लहरों से डरकर खड़ा देख रहा,

सहसा मन में उठा घबरा,

लहरों का बहाव बढ़े जा रहा है 

पानी बहे जा रहा है।

घबराहट से करता इंतज़ार लहरों के थमने का,

निहार के समूद्र की ओर, वापस मूड चलने का,

हाथ से मौक़ा निकले जा रहा है,

पानी बहे जा रहा है।

इंतज़ार न कर लहरों के थमने का,

दहाड़ उठा मन को उनसे लड़ने का,

तेरा सफ़र ख़त्म हो जा रहा है,

पानी बहे जा रहा है।

आज त्याग दे सुख और चैन

अपितु रोएगा कल सारी रैन,

झुक कर जीना भला क्या दे जा रहा है,

पानी बहे जा रहा है।

बढ़ज़ा तू आगे हिम्मत जुटाके,

लहरों में ही चल रास्ते बनाके,

नौका लिए कोई उस ओर आ रहा है,

पानी बहे जा रहा है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational