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हाय रे प्रभु क्यों आया ये कलयुग!

हाय रे प्रभु क्यों आया ये कलयुग!

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हाय रे प्रभु क्यों आया ये कलयुग?

हाथों में धोखे लाया ये कलयुग,

रिश्तों में स्वार्थ भरने आया ये कलयुग,

हाय रे प्रभु क्यों आया ये कलयुग!

जो चुनता सीधी राह उसे ना भाता ये कलयुग,

जो गाता नारे सच के उसकी जान हरता ये कलयुग,

सीधे साधे आदमी को चतुर बनाने आया ये कलयुग,

हाय रे प्रभु क्यों आया ये कलयुग!

चलते चलते रास्तों पर मिले कितने व्यक्ति,

हमने हमेशा गानी चाही सच्ची प्रेम की भक्ति,

निस्वार्थ प्रेम को दुःख देने आया ये कलयुग,

हाय रे प्रभु क्यों आया ये कलयुग!

धोखाधड़ी से बेहतर तो छुरी भोंक दे प्रभु पीठ में,

आख़िर कब तक सिखेगा मनुष्य टूट टूट कर रिस में,

हमें ना बनना ज़माने जैसा चाहे जान ले ले ये कलयुग,

हाय रे प्रभु क्यों आया ये कलयुग!


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