नवदुर्गा
नवदुर्गा
हे नव दुर्गे हे जगजननी,
दुष्टों का संहार करो तुम।
नौ नौ रूप धरे हैं ऐसे शोक,
उत्पीड़न को दूर करो तुम।।
खत्म करो यह अत्याचार,
आतंक भय को मिटाओ तुम।
नारी शक्ति रूपेण की महिमा,
अब ना देर अपार करो तुम।।
मानवता का भान मिटा है,
अब कृपा अपरंपार करो तुम।
शिव आव्हान करें मां तुमको,
नमन सहर्ष स्वीकार करो तुम।।
लो अवतार अविलंब मैया,
त्राहि-त्राहि दुखदूर करो तुम।
दीन हीन जो मति के मारे,
करोवध हृदय में ठहरो तुम।।
कोख में कन्या की रक्षा कर,
बेटी का सत्कार हो माँ तुम।
काली चंडी का स्वरुप बनके,
प्रचंड रूप नारी का हो तुम।।
महामारी का तांडव मिटा,
दुख दर्द को दूर हरो तुम।
आओ मैया हे जग जननी,
संसार के सारे कष्ट हरो तुम।।
