नव वर्ष
नव वर्ष
आया नव वर्ष नित नवीन आभास
नई स्फूर्ति संचरित हर्ष उल्लास
करें उत्सव झूमते बाल ग्वाल
प्रेम रास नृत्य गीत सरस प्रिय पाश
आओ सब जन करें तिलक अभिषेक
नए संकल्पों से हो प्रज्ज्वलित मन हर एक
प्रकृति पृथ्वी जननी मां का अभिनंदन
पशु पक्षी कंद बेल वट लता का वंदन
जलते वन जलें सैकड़ों जीव जंतु पीड़ित
जिनसे जीवन जल तन प्राण हैं जीवित
कैसे हो नव वर्ष का आवाहन
निज सहचर जब करें करुण क्रंदन
आओ सींचें हर वन आंगन क्यारी
घोलें न गरल, रोपें हरित आभा न्यारी
जो न होगा प्रकृति धरा अंबर का मान
क्या नव वर्ष, तिथि सब एक समान
लिखें नव तिथि पर नए पृष्ठ
मानुष हम प्रकृति का सूक्ष्म अंश
करें स्थापित इस वर्ष
नए हरित कीर्तिमान
तब हो उज्ज्वल भविष्य,
जब सफल वर्तमान।