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Satyajit Ghosh

Inspirational Others

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Satyajit Ghosh

Inspirational Others

नक़्शे की लकीर

नक़्शे की लकीर

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भाषा वही, वेश-भूषा वही,

खेत में लगी फसलें वही,

परोसे गए व्यंजन वही,

माँ की ममता वही।


बुज़ुर्गों की दुआएं वही,

आसमान में गरजते बदल वही,

सूरज वही, चन्द्रमा वही,

वही पशु हल खींचतें हैं,

वही पक्षी गीत गाते हैं।


नक्शे की वो एक लकीर,

जिसने हमें बाँट दिया,

दुश्मनी का पाठ पढ़ाया,

हाथों में शस्त्र दिए,

और हमें लड़ना सिखाया।


नक्शे की इस लकीर को,

क्या हम भुला नहीं सकते ?

रिश्तों में घुली कड़वाहट को,

चौसा की मिठास से,

क्या हम मिटा नहीं सकते ?


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