नफरत की आग
नफरत की आग
नफरत आदमी को क्या से क्या बना देती,
नफरत में आदमी अपनी सोचने की शक्ति खो बैठता,
प्यार और नफरत एक दूसरे के विलोम होते,
प्यार में आदमी सब कुछ न्योछावर कर देता,
नफरत में आदमी अच्छे बुरे का अंतर भी भूल जाता,
नफरत में आदमी कुछ भी बुरा करने को तैयार हो जाता,
नफरत किसी के लिए भी खतरनाक होती,
नफरत में आदमी अपनी इंसानियत भी खो बैठता,
नफरत न केवल व्यक्ति विशेष बल्कि सभ्य समाज के लिए भी खराब होती,
नफरत समाज में भी विष घोल देती,
नफरत यदि दो समाजों के बीच हो तो उन्हे भी बर्बाद करती,
नफरत का बीज सभी का सुख चेन बर्बाद करता,
नफरत यदि दो देशों के बीच भी होती तो उन्हे भी बर्बाद करती,
नफरत कही भी व किसी के बीच भी हो ठीक नहीं होती,
नफरत को प्यार ही खत्म करने की शक्ति रखता,न
फरत सभी के लिए खतरनाक होती,
नफरत आदमी को क्या से क्या बना देती,
नफरत में आदमी अपनी सोचने की शक्ति खो बैठता।