नमन ऐ वतन
नमन ऐ वतन
पग पग वफ़ा के दीप जलाते रहेंगें हम
आपस के भेदभाव मिटाते रहेंगें हम
नफरत के अंधकार को दिल से निकाल के
हिंदुस्तान की शान बढ़ाते रहेंगे हम
जो अन्न खा के देश का हैं देश के ख़िलाफ़
उनको नज़र से अपनी गिराते रहेंगें हम
रहते हैं हम भी नानको गाँधी के देश मे
पैगाम शांति के सुनाते रहेंगें हम,
सौ बार हो जनम मगर इस देश के लिए,
सौ बार अपना शीश कटाते रहेंगें हम
ऐ मादरे वतन तेरी पूजा के वास्ते,
थाली में अपना शीश चढ़ाते रहेंगें हम,
तुझसे जुडी हुई है हमारी भी आस्था,
गंगा तेरे किनारे भी आते रहेंगे हम,
इस देश की धरा को सजाने के वास्ते,
तारे गगन से तोड़ के लाते रहेंगे हम
