नज़्म
नज़्म
मुझे नहीं अच्छी लगती तुम
ऐसे चुप चुप उदास उदास
तुम्हें देखकर कभी यूं लगता है
कि लगातार होती बारिशों ने
कोई फूल बिखेर दिया हों
एक सिरफिरे बादल ने
चांद को घेर लिया हों
एक कहानी जिसे
किसी ने न पढ़ा हों
तेरी बेचैनी मुझे बेबस करती है
तेरी आंखों की उलझनें बताती है
तूने बिछड़ने का फैसला ले लिया है
कुछ है, जो तुझे अंदर तक कुरेद रहा है
तेरी खामोशी मुझे बहुत कुछ कहती है
पर मैं कर भी क्या सकता हूं
और मैं सुनकर भी कुछ कर नहीं सकता
बस यहीं, कह सकता हूं
मुझे नहीं अच्छी लगती तुम
ऐसे चुप चुप उदास उदास।