नारी शक्ति
नारी शक्ति
"नारी शक्ति"
जब नारी ही है शक्ति, वो कौन है जो निर्बल है,
वो क्यों खड़ी है, दोराहे पर,खुद पर विश्वास क्यूँ नही उसका अटल है,
वो क्या है जो उसे रोक रहा है,समाज की सोच या उसके संस्कार,
क्या आसमान में स्वछंद उड़ना नहीं है उसका भी अधिकार,
पैरों में पड़ी अदृश्य बेड़ियां क्या उसकी कमजोरी की निशानी है, पुरुषो को ढाल बनाकर चलना क्या उसने मन में ठानी है,
नही अब समय को बदलना होगा नारी के मुताबिक चलना होगा,
सोच बदली तो समाज बदलेगा, नारी का हक़ उसे मिलेगा,
देवताओं में भी देवियों का स्थान सबसे ऊंचा है,
स्त्री को वो सब मिलना चाहिए जो अब तक उससे छीना है,
अब हमें दौड़ना है, उड़ना है, आकाश को लक्ष्य बनाना है,
पुरुषों के साथ भागीदारी कर,अपना सम्मान वापस पाना है,
नारी यदि शक्ति है तो उसे अपनी शक्ति को पहचानना होगा, जिसे दुनिया भी जीत ना पाए उस अपराजिता को जानना होगा।
--- हेमा जैन
