नारी की पीड़ा
नारी की पीड़ा
नारी की पीड़ा समझने के लिये ,
स्वयं नारी बनना पड़ता है ।
भगवती लक्ष्मी को भी सीता बन कर ,
धरती पर उतरना पड़ता है ।
दो साल की नव विवाहिता को वनवास,
जँगल में भटकना पड़ता है ।
भगवान श्रीराम की पत्नी होने पर भी ,
राक्षस के घर रहना पड़ता है ।
सती साध्वियों को भी इस धरती पर ,
अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता है ।
हर परीक्षा, गवाह , सबूतों के बाद भी ,
घर से निकलना पड़ता है ।
और फिर , फटती है छाती नारी की जब ,
धरती को भी फटना पड़ता है ।
नारी की पीड़ा समझने के लिये ,
स्वयं नारी बनना पड़ता है ।
