न हारी हूँ न हारने दूँगी
न हारी हूँ न हारने दूँगी
न हारी हूँ न हारने दूँगी
मुस्कुराइये कि
जिंदगी में हम जैसे भी दोस्त हैं
जब भी सहारा चाहिये
मेरे हाथ बढ़े पाओगे
कंधे मेरे रोक लेंगे
तेरे झुकते सर को
हाथ पोंछ लेंगे
तेरे बहते आंसुओं को
मुस्कुराइये कि
हम जैसे भी खड़े हैं
तेरी राहों में
तुम्हारे दर्द का साथी
न हारी हूँ न हारने दूँगी
