हम तुम तुम हम
हम तुम तुम हम
धीरे-धीरे बूढ़ी हो रही हूँ
नहीं पता क्या होगा मेरा
साथ रहेगा या
रह जाऊँगी अकेली
सहारा बनूँगी
या सहारा लूँगी
सोचती हूँ
चोटी मैं बनवाऊँगी
दाढ़ी उनकी बनाऊँगी
सड़क पार करते समय
हाथ मेरा थामेंगे वो
या मैं पार लगाऊँगी
चलो थोड़ी गलती
उनकी मैं माफ करूँ
थोड़ा वो आगे बढ़ें
बिन माफ किये
हाथ हम कैसे पकड़े
पर जब तक जीवित हूँ
तब तक तो थोड़ा आगे
या फिर थोड़ा पीछे
चलना पड़ेगा ही
चाहे हम चाहे वो
थोड़ा थोड़ा तो
आँसू पोंछना ही पड़ेगा
कभी मैं माँ का रोल निभाऊँ
कभी वो पिता से बन जाये
साथ पूरा तो तभी बनेगा
सात फेरों के वादे
पूरे करने का मौसम
तो अब आया है
चलो हम तुम
तुम हम बन जायें।