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KAVY KUSUM SAHITYA

Abstract

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KAVY KUSUM SAHITYA

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मुसकान

मुसकान

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किसी कि आँखो शबनम जैसे बेवफा के आँसू,

किसी के ज़ख्म जहरीली मुस्कान।        

किसी का मुस्कुराता ग़म में भी चेहरा

औरों के ग़म पे मुस्कुरता किसी का चेहरा!! 


जवां जोश दुनिया कि उम्मीद का चेहरा,

जिन्दगी कि मुश्किल से घबराया चेहरा।        

जिन्दगी के सफर के शाम के ईमान का चेहरा।           

मैं जिंदगी के हर मुकाम का गवाह आईना!!


कोई लाख बनाए चेहरा अपना

लाख छुपाए चेहरा अपना।

खामोश जज्बे के चिलमन का चेहरा अपना

खामोश बयां असली नकली चेहरा!!


आईना कहता है दुनियाँ का क्या करूँ

हर कोई देखता मुझ में अपना चेहरा।।       

किसी के हुस्न के गुरुर का चेहरा

किसी का दौलत के जुनून का चेहरा!!                 


चाँद कहता है कि आईना तेरा भी क्या कहना

छुपा देता है तू तमाम दाग चेहर।             

हसरत के हुस्न कि हस्ती बना देता मेरे जैसा चेहरा!!

कोई लाख बनाए चेहरा अपना

लाख छुपाए चेहरा अपना      

खामोश जज्बे के चिलमन में चेहरा अपना

मेरा खामोश बायां असली नकली चेहरा!!  


मैं नादा, नाज़ुक ,कमसीन ,बचपन कि शरारत।              

माँ बाप के अरमां के जमीं आसमान का

आईना सूरज चाँद का चेहरा!!

लाख टुकड़े आईने में एक ही चेहरा 

हर बिखरे टुकड़े में जज्बात का जुदा

जुदा चेहरा आईना!! .            


आईना कहता है मैं दिल शीशे कि तरह नाज़ुक

साँसों कि गर्मी से पिघल जाता।           

साँसों, धड़कन, निगाहों कि बेरुखी से टूट कर

लाख टुकड़ाे में बिखर जाता मैं आईना!!


इश्क, मोहब्बत, जीनत कि जसन्त दीवानों कि

नज़रों के आईने का चेहरा।                 

मैं आईना हर चेहरे में छुपे तमाम जज्बात का

चेहरा!!

कहता आईना मैं दुनियाँ के हर चेहरे का

चश्मा चश्मदीद।     

हर कोई मुझ में देखता मुझ में चेहरा अपना

कोई भी मेरा हो न सका अपना!!        



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