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मुसाफिर

मुसाफिर

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वक़्त बीतते देर नही लगती,

चले जा मुसाफिर तू आगे,

छोढ़ आया जिस तूफान को तू पीछे,

कहीं आ ना जाए वो तेरे आगे!

 

हक़ीक़त है की थक रहा तू,

जो जान बची, उसे निचोड़ चल आगे!

बढ़ना है ज़िंदगी की ज़रूरत,

तो चले जा मुसाफिर तू आगे!!


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