मुक्ति
मुक्ति
स्वयं से मिलने की यात्रा
मुक्ति की यात्रा है !
मैं मुक्त होना चाहता हूं
किन्तु
तुम्हें भूलना नहीं चाहता
याद है तुम्हें ?
तुम मुझे यात्री कहकर
पुकारती थी
मैं जानता हूं अब यात्री
होने का मतलब !
कल मिला था
एक
बौद्ध भिक्षु
उसने मेरी आत्मा को
कपड़ों से अलग किया
और कहा
तुम्हारी आत्मा पर
प्रेम के छाले हैं !
आत्मा पर घाव लिए
मुक्ति नहीं मिल सकती !
