मुकाम
मुकाम
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मोहब्बत में मुझ को ये कैसा मुकाम मिला
मेरी वफ़ा को बेवफा नाम मिला
सहमा सा हूं मगर संभल भी जाऊंगा
भुलाने की है तुझे कोशिश भूल भी जाऊंगा।।
ज़िन्दगी से जब तुमको भुलाने लगे
आँखों से आँसू फिर आने लगे
बुलायेगी तेरी यादें पर मैं ठहर भी जाऊंगा
भुलाने की है तुझे कोशिश भूल भी जाऊंगा।।
निगाहों में बसाया था अब ना बसाऊंगा
साया बनकर चला था अब ना चलूंगा
राहों में तेरे अब मैं ना आऊंगा
भुलाने की है तुझे कोशिश भूल भी जाऊंगा।।
टूटा हूं पर हारा नहीं
मिटा के रहूंगा यादें तेरी
चाहे जाना पड़े मुझको कहीं
लगाई थी जो दिल्लगी फिर से ना लगाऊंगा
भुलाने की है तुझे कोशिश भूल भी जाऊंगा।।