मुहब्बत की तिज़ारत
मुहब्बत की तिज़ारत


किसी का दिल नहीं तौलो, कभी धन और दौलत में,
नहीं औकात सिक्कों की, खरीदे दिल तिज़ारत में।
नहीं बाज़ार में मिलता, नहीं दिल खेत में उगता
समर्पण बीज जो बोता, वही पाता मुहब्बत में।।
तराजू में नहीं तौलो, किसी मासूम से दिल को,
बड़े निश्छल बड़े कोमल, बड़े माशूक से दिल को।
ज़रा सी चोट क्या लगती, बिखरता काँच के जैसा
नहीं तोड़ो मुहब्बत में, किसी नाज़ुक से दिल को।।
कभी परखो अगर दिल को, ये दौलत हार जाती है
मुहब्बत जीत जाती है, ये नफ़रत हार जाती है।
दिलों के खेल में अक्सर, सभी दिल हार जाते हैं
अगर जो जीतना हो दिल, मुहब्बत हार जाती है।।
नहीं दौलत नहीं शोहरत, न नफ़रत काम आएगी,
सभी जब साथ छोड़ेंगे, ये हसरत काम आएगी।
भरा जो प्रेम भावों से, वही दिल जीत पाता है
बसा लो प्यार तुम दिल में, मुहब्बत काम आएगी।।