मॉं
मॉं
माँ तुम हो
व्याखा
मेरे दिल की
मां मैं समेट लूँ
स्मृतियों की कतरने
एक एक करके
तुम मुझे बाँहों में
भर लेना।
मैं तुम्हें देर तक
सहेजती रहूंगी।
कहीं दूर क्षितिज की मानिंद।
चाँद को छूती
तुम्हारी बिंदी।
कहीं देर रात
खिलती रात रानी की महक
की तरह
तुम मेरी नस नस में
समा जाती हो।
मॉं
मैं हर क्षण
तुम्हें अपने पास
पाना चाहती हूं।
पसर जाता है सन्नाटा तब भी,
होती है
भोर जब तक।
सारे दिन घर में
बस चलती रहो मॉं
मेरे केनवास में रंग बिखेरो मॉं
सुन्दर पंखुड़ी बन कर खिलखिलाओ
मैं हर तरह महसूस करना चाहती हूं
हर सांस तक।