मोहब्ब्त!
मोहब्ब्त!
तेरे किसी सवालों का ज़वाब नहीं था
रूठी तो मैं भी थी मनाने तू नहीं था
हर बात कहने से ही समझ आए,
तो प्यार का इजहार क्यों करे ?
मेरी हँसी के पीछे का ग़म तू देख न पाया
फ़िर मोहब्बत का नाम क्यों दे ?
~Sakshi🤎
तेरे किसी सवालों का ज़वाब नहीं था
रूठी तो मैं भी थी मनाने तू नहीं था
हर बात कहने से ही समझ आए,
तो प्यार का इजहार क्यों करे ?
मेरी हँसी के पीछे का ग़म तू देख न पाया
फ़िर मोहब्बत का नाम क्यों दे ?
~Sakshi🤎