याद!
याद!
तुझसे यूं बिखरे हम न जाने कब महफिलों से गुम होने लगे
हकीकत में हम साथ नहीं ये बातें ख्वाबों में दोहराने लगे
अनजानी गलती से अनजानी राह पे आ ठहरे थे
तुम्हे देखकर यूं आंखों में आसूं केद करदिए थे ।
साथ बिताया हर पल याद तो आज भी आता है
यादों में कहीं कोई सवाल छोड़ जाता है
याद आ जाए कभी मेरी किस बहाने से तुम मुस्कुराते हो ?
गुजरो कभी उन रास्तों से किन खयालों से तुम मिलते हो?
~Sakshi 🍁