याद!
याद!
तुझसे यूं बिखरे न जाने कब महफिलों से गुम होने लगे
हकीकत में हम साथ नहीं ये बातें ख्वाबों में दोहराने लगे
अनजानी गलती से अनजानी राह पे आ ठहरे थे
साथ बिताया हर पल याद तो अभी भी आता है
यादों में कहीं कोई सवाल छोड़ जाता है
याद आ जाए कभी मेरी किस बहाने से तुम मुस्कुराते हो ?
गुजरो कभी उन रास्तों से किन खयालों से तुम मिलते हो?

