मोहब्बत
मोहब्बत
वो गुलाब की पंखुड़िया उड़ाई नहीं !
कागज़ की वो धूल हटाई नहीं !!
अपनी बाँहों की चादर जो लपेटी थी तुमने कभी !
वो आज तक अपने बदन से हटाई नहीं !!
वो जलती आग बुझाई नहीं !
वो मोमबत्तिया फिर से जलाई नहीं !!
वो जो तुमने सजाई थी ज़िन्दगी !
वो उजाड़ कर, फिर से बसाई नहीं!!
वो कश्तियाँ चलाई नहीं !
सच्ची मोहब्बत तुमसे छुपाई नहीं !!
जब धड़के थे दिल सीने से लग कर !
वो रात अब तक भुलाई नहीं !!