मंजिलें
मंजिलें
जिंदगी से कई शिकवे है
कई गिले भी हैं,
छोड़कर आगे चले इस सब को
क्योंकि आगे कई मंजिलें भी है।
देती है ये मौका सबको,
जाने कब उड़ान भरेगी
ये आसमान पर
हमें ज्ञात नहीं है।
अगर इसने दुख दिया है
तो आगे फुहारें भी हैं।
हारकर ना बैठना कभी
एक बार फिर मौका देगी ये
आगे कई हौसले भी है।
