मन मचले मृगछौना के पीछे
मन मचले मृगछौना के पीछे
आतंक, भय, अशांति, अराजकता औ शोर ,
देखकर जैसे मृगछौना मचले मन का चोर !
एक सुंदर परिदृश्य है आँखों के आसपास ,
जिसमें बसे सुकून, शांति और एक उजास !
बावरा मन विकल होकर रहता है घूमता ,
इत उत चित बौखलाता और है छितराता !
एक साथ दसों दिशाएं और सब धुंधलाएं ,
चलो किसी अज़स्त्र शांति की खोज कर आएं!