मन क्यों विचलित है
मन क्यों विचलित है
आज फिर मन क्यों विचलित है
ख्यालो में न जाने क्या क्या सम्लित है
कैसे होगा कब होगा या
सब कुछ अभी लम्बित है
आज फिर मन क्यों विचलित है
ख्यालो में न जाने क्या क्या सम्लित है
रुक रुक कर चल रहा आज कल
किस्मत की गाड़ी भी शायद निलंबित है
जितना है जीवन का हर पड़ाव मुझे
ये बात भी तो दिल पे अंकित है
आज फिर मन क्यों विचलित है
ख्यालो में न जाने क्या क्या सम्लित है ।