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astha singhal

Abstract Classics

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astha singhal

Abstract Classics

मज़ेदार ज़िन्दगी!!

मज़ेदार ज़िन्दगी!!

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बसंत की वो खिलखिलाती सुबह,

चारों ओर फूलों से सजी बगिया,

और हाथ में गर्मागर्म चाय का कप,

इससे मज़ेदार ज़िन्दगी और क्या होगी।।


रंग-बिरंगे फूलों को निहारते हुए

उस सुबह का आनंद लेते हुए,

मज़े से चाय की चुस्की लेते हुए,

इससे मज़ेदार ज़िन्दगी और क्या होगी।।

बारिश के मौसम में जब,

सुबह - सुबह छत पर,

हल्की फुहार पड़ती है,

तब मन मोर की तरह नाच उठता है।

ऐसी भीगी- भीगी सुबह का स्वागत,

एक कड़क चाय ही कर सकती है।।

मिट्टी की सौंधी-सौंधी महक,

और अदरक की कड़क खुश्बू,

चाय को और भी मज़ेदार बना देती है,

इससे मज़ेदार ज़िन्दगी और क्या होगी।।


सर्दियों की कड़ाकेदार ठंड की वो खिलखिलाती सुबह,

जब हाथों के साथ पूरा शरीर सुन्न हो,

तब, अदरक, काली मिर्च की चाय की लपटें

शरीर और मन दोनों को ताज़ा कर देती हैं।।


सिर पर टोपी, हाथों में दस्ताने पहने

मुंह से धुंआ निकालते हुए हम,

उस सुहानी सुबह का आनंद लेने खिड़की के पास

हाथों में गर्मागर्म चाय का कप लिए

ठंड से ठिठुरते अपने शरीर को,

चाय की गर्माहट से ताज़गी देते हुए हम,

यही कहते हैं अपने आप से,

इससे मज़ेदार ज़िन्दगी और क्या होगी।।


मौसम आते जाते रहेंगे,

जीवन यूं ही गतिमान रहेगा,

पर, हर सुहानी सुबह का आगाज़,

एक कप गर्म चाय से ही होगा।


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