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Kumar Gaurav Gupta

Abstract

5.0  

Kumar Gaurav Gupta

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मील के पत्थर

मील के पत्थर

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भले ही पा लिए हों तूने मील के पत्थर 

लेकिन अब भी फूँकने होंगे तुझे इस देश में जन्तर मन्तर 


तेरा रास्ता चाहे आधा क्यों न रह गया हो

देश के नोजवानों को अब भी देखनी है पहली मंज़िल


बैठ न जाना तू इस पत्थर को ऋदाँजली समझकर 

कौन जाने नहीं है तेरी यह आख़िरी मँजिल।


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