मेरी प्यारी बेटी
मेरी प्यारी बेटी
उत्तम मन
गहरी लगन
कर्मनिष्ठा और निरंतर प्रयास से
उच्च शिखर पर बढ़ती रहो,
सच्चाई के मार्ग पर
अपनी लक्ष्मण-रेखा
खींचती रहो
मान-सम्मान की उज्ज्वलता
पुरातन दीपज्योति,
पवित्र आगंन की श्याम तुलसी,
ज्ञान की रौशनी बिखेरती रहो
मटके का शीतल पानी
सागर सी गंभीरता,
आकाश की विशालता,
नभ में अरुंधति-सी चमकती रहो,
मेरे आंगन में हल्दी-कुंकू की रंगोली
सदा तुम दमकती रहो,
मेरे पावन संस्कारों में पली
चेहरे पर बुलंद
उम्मीद सजाए
सपनों की उड़ान भरकर
सदा तुम चहकती रहो,
मां गौरी का अस्त्र धारण कर
भोलेनाथ की डमरू ,त्रिशूल
कृष्णा का गीता ज्ञान
उनपर आस्था का दामन थामकर
हमेशा सुख के आशीषों से सराबोर रहो,
रिमझिम सावन की मधुर फुहारों से
बसंत के महकते फूलों से
सर्दी की कठोर ओलों से
अपनी पहचान बनती रहो
माता-पिता के स्वाभिमान की पुशबेला
मेरे मन को गर्वित करती रहो
दया ,क्षमा,भरोसा और विश्वास
की चादर ओढ़े
मेरी बेटी, सदा तुम खुश रहो..!