मेरी कलम
मेरी कलम
मुझे नहीं पता मैं क्या लिखती हूं।
चलती है कलम मेरी और
मैं अदा लिखती हूं।
अपने हर हर्फ़ में लिखती है
कलम मुझे मेरी,
और मैं कलम को खुदा लिखती हूं।
न होती कलम तो ये
वेद पुराण नहीं होते,
गीता नहीं होती न कुरान होते।
कभी जन्मे थे भारत की पुण्य भूमि पर
राम और कृष्ण भी ये बताने वाले
विद्वान नहीं होते।
सुंदर गीत, गजल,गान न होते
शिक्षा का होता अभाव
इंसान भी फिर इंसान नहीं होते।
