STORYMIRROR

Meera Kumar

Inspirational

4  

Meera Kumar

Inspirational

मेरे क़दम

मेरे क़दम

1 min
342

यूँ उठे मेरे क़दम हर दर दीवार

हर नफ़रत की दीवार लाँघ आई

अमन चैन की गुज़ारिश की मैंने

रंजिश की गुंजाईश तोड़ आई


इक दहलीज़ तो लांघी थी मैंने

लांछन को वरमाला पहना आई

अपनो के कटाक्ष को सींचा मैंने

अक्सर खुद के ज़ख़्म कुरेद आई


खामोशी में भी बहुत चीख़ा मैंने

अपने अंतर्मन को दबा कर आई

खुद के ज़ख़्म मरहम लगाया मैंने

अचरजता नजरो मे झाँक आई


जबतक चुप्पी से दर्द सहा मैंने

लोगों के दिलो मे ठिकाना कर आई

अपेक्षाओ को तोडा जुबान को खोला मैंने

दुनिया के नजरों में मैं दीवारें लाँघ आई।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational