मेरे भ्राताश्री! प्रणाम...!!!
मेरे भ्राताश्री! प्रणाम...!!!
हमारे वयोवृद्ध पिता-माता के सहित
असम के शोणितपुर जिले में अवस्थित आलिसिंगा नामक स्थान पर
भकुआमारी गांव के हमारे अपने घर में
तुम्हारे होने से बहुत 'फ़र्क' पड़ा है,
ओ भ्राताश्री विक्टर, तुम्हें
शत-शत प्रणाम !!!
शत शत प्रणाम !!!
अगर तुम असम के बाहर
अर्थ उपार्जन हेतु अब तक रहते,
तो निश्चित रूप में मैं, तुम्हारा ज्येष्ठ भ्राता,
अपने बेसरकारी सेवाकार्य से
त्यागपत्र देकर
घर आकर बैठ जाता...!!
मगर मेरे भ्राताश्री विक्टर,
तुमने जो इतना बड़ा त्याग
अपने पिता माता के हितार्थ किया,
उसका एकमात्र साक्षी वो विधाता ही हैं,
जिन्होंने निश्चित रूप से तुम्हारे लिए
कुछ अनूठा और अद्भुत परियोजना बनाकर रखे हैं,
ये तुम देखना, मेरे भ्राताश्री विक्टर !
कोई तुम पर कुछ भी कटाक्ष करे,
मगर हम सब जानते हैं, मेरे भाई विक्टर ! आज तक तुम्हारा ज्येष्ठ भ्राता,
मैं जो अपने बेसरकारी सेवाकार्य
से त्यागपत्र देकर
घर आकर नहीं बैठ गया,
उसका पूरा श्रेय
तुम्हारे महान कर्मयोग एवं त्यागभाव
पर जाता है, जिसका ऋण मैं
पूरी ज़िंदगी में कभी
चुका न पाऊंगा, ओ मेरे भ्राताश्री विक्टर !!!
तुम देखना, मेरे भ्राताश्री,
विधाता के आशीर्वाद से
तुम्हारे उन्नति के बंद दरवाजे
बहुत जल्द खुलेंगे...!!!
और वो दुनियावाले भी देखेंगे,
जो आज तुमसे, जानबूझकर,
नज़रें चुरा रहे हैं...!
मगर तुम देखना, मेरे भ्राताश्री विक्टर,
तुम्हारे नाम का अर्थ ही "विजेता" है,
फिर तुम्हें किस बात की फ़िक्र !!!
तुम बस अपना सत्कर्म
पूरे ईमान से करते चलो...
आगे जो भी होगा, अच्छा ही होगा...!
तुम श्रीमद् भागवत गीता का
नित्य पठन करो, मेरे भ्राताश्री...!
हर एक मसले का हल
उसी में छिपा है ; बस तुम्हें
अपने मकसद को कभी
बदलना नहीं है, मेरे भ्राताश्री ;
उस पर पूरा अमल करो
और अपनी ज़िंदगी रोशन करो...!!!
हम सबकी शुभकामनाएं
हमेशा तुम्हारे साथ है !!!
तुम्हारा परिवार सलामत रहे, मेरे भ्राताश्री विक्टर !
तुम्हारा संसार सुख समृद्धि एवं
सामर्थ्य से भरपूर रहे !
तुम्हारा नन्हा बेटा 'प्रयाग तपादार'
एक शुद्धचित्त इंसान बने
और भारत माता का नाम
अधिकाधिक उज्ज्वल करे !!!
यही हम सबकी दुआएं हैं...!!!
