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Vivek Agarwal

Abstract Tragedy

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Vivek Agarwal

Abstract Tragedy

मेरा काव्य

मेरा काव्य

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काव्य शास्त्र के दुरूह गणित से मैं बिलकुल अनजान

कैसी भाषा कैसी शैली, कैसा हो रस विधान

विकल हृदय की वेदना से, भाव जो प्रस्फुटित होते हैं

उन भावों की अभिव्यक्ति से सज्जित मेरा काव्य नादान



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