मध्यवर्गीय परिवार
मध्यवर्गीय परिवार
बात मेरे आपके घर की नही, पूरे हिंदुस्तान की है
यह कहानी हर मध्यवर्गीय परिवार की है।
यहां एक की पीठ पर पलता पूरा परिवार हैं
किसी चीज की कमी न हो इसका रखा जाता खयाल है।
हर खवाइश पूरी हो कोशिश यही होती है
,भले ही बाइक न हो पर साइकिल जरूर होती है l
जो मिले नही, वो किस्मत मैं नही ऐसा मान लिया जाता है।
किसी चीज को खरीदने से पहले १०० बार सोच लिया जाता है।
यहां बड़े भाई के कपड़े छोटे भाई को दे दिए जाते है,
फिर उन्ही कपड़ों को काट कर उनके तकिए बना लिए जाते है।
पैसा हाथ मैं आने से पहले ही खर्च हो जाता है,
ख्वाइशों मैं नही जरूरतों में इस्तमाल हो जाता है।
ईश्वर भी अपना खेल हम पर ही आजमाता है,
सालों भर की बचत बीमारी पर उड़ा ले जाता है
दूसरों की कामयाबी पर खुश होना भी यही सिखाया जाता है,
खुद मेहनत करके कामयाब होना यही बचपन से बतलाया जाता है।
यहां एक की जरूरत दूसरा पूरी करता है,
खुद की थाली में भले ही काम हो लेकिन
दूसरे की थाली भरी हो यही कोशिश करता है।
यहां घर का बड़ा घर मे कम घर से बाहर जादा रहता है,
खुद के लिए नही हमारे लिए दिन रात एक करता है।
