लाड प्यार ना हो मेरा बेकार सीमाओं पे आक्रांता ने दी है तुमको ललकार । लाड प्यार ना हो मेरा बेकार सीमाओं पे आक्रांता ने दी है तुमको ललकार ।
काफी है हर द्वन्द के लिए धीरे धीरे ही सही अनवरत हम सबको यूँ ही है बढ़ना। काफी है हर द्वन्द के लिए धीरे धीरे ही सही अनवरत हम सबको यूँ ही है बढ़ना।
अब अपनी कामयाबी की खुशी से ज्यादा उनकी जुदाई का ग़म है ।। अब अपनी कामयाबी की खुशी से ज्यादा उनकी जुदाई का ग़म है ।।