मधुमक्खी और चिड़ियारानी
मधुमक्खी और चिड़ियारानी
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हुआ सामना मधुमक्खी का,
इक दिन चिड़िया रानी से।
चूं चूं कर बोली मक्खी से
मीठी ,मधुरम वाणी से।।
बड़े परिश्रम और लगन से
छत्ता सखी बनाया तुमने।
चुन चुन फूलों का मधुरस
मीठा शहद जुटाया तुमने।।
वृक्ष शाख बैठी थी मैंl
देख रही थी इधर उधर।
आते देखा इक मानव को
पहुंच गया वह छत्ते पर।।
शहद तुम्हारा चुरा लिया,
छत्ता भी लेकर चला गया।
सभी मक्खियां बिखर गईं,
मानों सबको वह रुला गया।।
बोली रानी मक्खी-
और कर भी क्या सकता मानव है?
रहम नहीं है तनिक उसे,
वह सचमुच पूरा दानव है।।
खुली चुनौती मेरी उसको,
शहद बनाकर दिखलाए।
हुनर हमारा शहद बनाना,
कोई उसे ना सिखलाए।।