दो कुल का अभिमान बेटियां!!
दो कुल का अभिमान बेटियां!!
मेरे जीवन के उपवन में
खिली मासूम दो कलियां,
हुआ सुरभित मेरा आंगन,
मेरी हसरत बेटियां हैं।
सुकोमल तन है इनका पर,
बहुत मजबूत होता मन।
जो पल में बांट लें दुःख दर्द,
वो नाज़ुक सी बेटियां हैं।
बड़ा अफसोस होता है,
ख़बर जब भी ये पढ़ती हूं।
घट रही दर बेटियों की ,
बसाती घर बेटियां हैं ।।
चलाए हैं बड़े अभियान,
शासन ने सुरक्षा हित,
करो शिक्षित इन्हें ढंग से,
बचाती कल बेटियां हैं।।
अगर होंगी सुशिक्षित ये ,
गलत होने न देंगी कुछ,
किरण बेदी , कल्पना
सानिया, सिंधु भी बेटियां है।।
विदा करते हैं जब मां बाप
जिगर के अपने टुकड़े को,
ये रखती लाज दो कुल की,
चलाती वंश बेटियां हैं।।
मेरी दुलारी "सौम्या, नीना" को समर्पित