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Praneet Naidu

Abstract

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Praneet Naidu

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मौसम

मौसम

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ए मौसम तू कितना भी बरस तुझे ना सज़ा रोकेगी ना सरकार टोकेगी,

क्यूँ नही समझा देती दुनिया के लोगो को मा इधर भी है माँ उधर भी है,

मौत मे आंसू वहा भी आनी है मौत के आँसू में यहाँ भी पानी है.

सरहद मे जवान मरता है यहाँ का इंसान टिप्पणी करता है

क्या बताऊँ दुनिया मे लोगो धरती को बाट दिया है,

यहाँ तक के कानून को छाट दिया है


माना हमारा हिन्दुतान है तो उनका पाकिस्तान है,

सरहद मे तो मरता देश का जवान है,

तू तो यहाँ भी बरसती है तू तो वहाँ भी बरसती है,

तुझे इनकी छीके सुनाई नही देती,

क्या तुझे इनकी कुर्बानी दिखाई नही देती


युद्ध के आगाज़ का डर है बात बात पे सरहद पे कट जाता जवान का सिर है,

ऐलान-ए-जंग तो कुरचियो से बैठ बैठे होजायेगा,

दोनों तरफ मासूम मरेंगे उनका परिवार रोता जाएगा.


सोचो उस जवान के परिवार का क्या जो दूर गाँव मे बस्ता है,

सरहद में हर रोज़ जवान मरते क्या हमारा जवान इतना सस्ता है,

माना सबके दिमाग मे यही है कि कब पड़ोसी मुल्क को मू तोड़ जवाब दिया जाएगा,

पर उस जवान की माँ का क्या जो सोचेगी क्या हर रोज़ की तरह आज भी मेरा बेटा सही सलामत रहेगा.


क्यों नही बरसती ऐसे की नफरत की आग बुझ जाए,

जिस ब गली में नफरत हो वो ऐलान रुक जाए,

क्या तू भी बेज़ुबान और बेजान होगई है,कही तू भी तो मौसम से ना इंसान होगई है



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