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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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मौन ने जो कहा

मौन ने जो कहा

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मौन ने जो कहा -क्या आपने सुना?

आप कहेंगे नहीं, बिल्कुल भी नहीं

क्योंकि मौन की वाणी, भाषा

मौन होकर सुनना, समझना पड़ता है,

तभी वो समझ में आता है,

वरना व्यर्थ हो जाता है।

वो इसलिए भी कि

मौन साधना है, आत्मचिंतन है

जिसे साधना आसान नहीं है

पर इतना मुश्किल भी नहीं है

जितना आप दिखाते हैं।

क्योंकि मौन पथ पर आप

एक कदम भी चलना ही नहीं चाहते हैं

ऊपर से मौन का उपहास भी उड़ाते हैं

लेकिन मौन के स्वर संदेश को

आत्मसात करना बिल्कुल ही नहीं चाहते हैं। 



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