STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

Abstract

हरिपद छंद

हरिपद छंद

1 min
332


आशा 

*****

आशा कभी न छोड़ो प्रियवर, रखना निज विश्वास।

जीना होगा आपको श्रीधर, उम्मीदों के दास।।


चलते रहना अपने पथ पर, नहीं मानना हार।

आशाओं की ज्योति जलाकर, जाना है उस पार।।

*******

चंदन 

*******

माथे चंदन पोत कहें वह, चीख-चीख श्री राम।

कपट शेर की खाल ओढ़ कर, बना रहे निज काम।।


चंदन अपनी प्रकृति सजा नित,‌ करता सद्व्यवहार। 

शीतलता उसने छोड़ा है कब, चाहे जस आधार।।


चंदन हमको देता हर पल,‌ सदा एक ही ज्ञान।

अपना गुण हो सदा संग जब, तब ही मिलता मान।।


चंदन टीका निज माथे&nbs

p;पर, देता पावन भाव।

शांत हृदय संग सौम्य रुप धर, करता नहीं दुराव।।

********

वंदन

 *******

करिए वंदन मातु पिता गुरु, होगा बेड़ा पार।

इन तीनों की कृपा मिले तब, कदमों में संसार।।


मातृभूमि का करते वंदन, अपने वीर जवान।

प्राणों की आहुतियाँ देकर, करें राष्ट्र का गान।।


कैसा आया है आज समय, जान रहे हैं आप।

स्वार्थ सहित ही होता वंदन, यह कैसा अभिशाप।।


वीर जवानों का भी हम सब, आओ करें वंदन।

हर मुश्किल में वो सीमा पर, बनते देश चंदन।।


देश सुरक्षा भाव लिए जब, हो जाते बलिदान।

ऐसे वीर जवानों को हम, वंदन कर दें मान।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract