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VIPIN KUMAR TYAGI

Drama

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VIPIN KUMAR TYAGI

Drama

मैं विज्ञान हूं

मैं विज्ञान हूं

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मैं विज्ञान हूं मानव का कल्याण हूं। निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर हूं आगे बढ़ता जाता हूं।

मनुष्य ने अणु का आविष्कार किया परमाणु का आविष्कार किया आविष्कार के बाद आविष्कार किया फिर भी न में हारा न में थका। मै निरन्तर प्रगति करता जाता हूं आगे बढ़ता जाता हूं।

मनुष्य ने बैलगाड़ी बनाई, आविष्कार कर मोटर गाड़ी बनाई, रेल बनाई, वायुयान बनाया, चंद्रयान बनाया, अब मंगलयान भी बनाया। फिर भी न मै हारा न मै थका में निरंतर प्रगति करता जाता हूं आगे बढ़ता जाता हूं।

मनुष्य ने घर बनाए, आलीशान महल बनाए, धरती पर, जल में, आकाश में, स्पेस स्टेशन बनाए, अब तैयारी चंद्रमा पर कालोनी बनाने की, फिर भी न में हारा न में थका। में निरंतर प्रगति करता जाता हूं आगे बढ़ता जाता हूं।

मनुष्य ने पहले आयुर्वेद की दवाई बनाई, फिर होम्योपैथ की और फिर एलोपैथ की दवाई बनाई। पहले चेचक पर निजात पाई, फिर अनेक जानलेवा बीमारियों पर निजात पाई, अब तैयारी है उम्र बढ़ाने की अमरत्व पाने की।फिर भी न में हारा न में थका में निरंतर प्रगति करता जाता हूं आगे बढ़ता जाता हूं

मनुष्य ने आपदाओं का समाधान किया, बिजली, पानी का इंतजाम किया, वर्षा पर नियंत्रण किया अन्य चीजों पर नियंत्रण किया फिर भी न में हारा न में थका में निरंतर प्रगति करता जाता हूं आगे बढ़ता जाता हूं

मनुष्य ने स्वरक्षा को हथियार बनाए, परमाणु बिजलीघर बनाए, परमाणु बम बनाए, अणु बम बनाए अब यह मनुष्य के उपर है की वह शांति रखे या विनाश करे इसमें में दोषी नहीं, में निरंतर प्रगति करता हूं आगे बढ़ता जाता हूं।


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