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Gurudeen Verma

Abstract

4  

Gurudeen Verma

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मैं तो एक मुसाफिर हूँ

मैं तो एक मुसाफिर हूँ

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मैं तो एक मुसाफिर हूँ, मेरा एतबार नहीं करना।

कल मुझको कहाँ जाना है, मुझे प्यार नहीं करना।।

मैं तो एक मुसाफिर हूँ--------------------।।


इन फूलों में नहीं, कांटों में है मेरा गांव।

कोई झील नहीं वहाँ, नहीं पेड़ों की वहाँ छाँव।।

महलों में तू रहने वाले, इंतजार नहीं करना।

कल मुझको कहाँ जाना है, मुझे प्यार नहीं करना।।

मैं तो एक मुसाफिर है-------------------।।


मैं तो एक परिंदा हूँ ,हर दिन नीड़ बदलता हूँ।

जहाँ मिल जाये दाना-पानी, वहाँ मैं रुकता हूँ।।

साथ नहीं खुशबू -सितारें, उम्मीद कोई नहीं करना।

कल मुझको कहाँ जाना है, मुझे प्यार नहीं करना।।

मैं तो एक मुसाफिर हूँ------------------।।


 नहीं तुम्हारे मैं काबिल, कोई काम नहीं आ सकता।

जीना मुझको मेरे लिए, तेरे लिए नहीं मिट सकता।।

बर्बादी अपनी कभी तुम, मेरे लिए नहीं करना।

कल मुझको कहाँ जाना है, मुझे प्यार नहीं करना।।

मैं तो एक मुसाफिर हूँ------------------।।


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