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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Abstract Fantasy

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Abstract Fantasy

मैं मीठी हूँ सब को भाती हूँ

मैं मीठी हूँ सब को भाती हूँ

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मैं जवानी एक कहानी हूँ -

मैं मीठी हूँ सब को भाती हूँ 


यह वास्तविकता है कि मैं जवानी -

नेहरु पर उन्नीस सौ दस-बीस के दशक में आई थी 

कवि सहित मित्रों पर अस्सी-नब्बे दशक में आई थी 

अनेकों पर मैं जवानी दो हजार-दस में आई थी 

अनेकों पर अभी और दस बीस वर्ष मैं रहने वाली हूँ 

अनेकों जो मुझे जीने के लिए अभी जन्म ले चुके हैं 

असंख्य आगे जन्म लेकर अपनी बारी मुझे जीने वाले हैं 


मैं जवानी सब पर आती हूँ 

मैं मीठी हूँ सब को भाती हूँ 

मैं रहती सब पर बीस बरस 

ये प्रकृति मेरी मैं चली जाती हूँ


मैं हूँ ऐसी कि लोग भूल नहीं पाते हैं

बीती मगर मुझे दिखाते पाए जाते हैं 

जीना तो सभी सौ बरस चाहते हैं 

मगर मरते तक मुझे साथ चाहते हैं 


लड़कपन और बुढ़ापे के बीच मैं रहती हूँ

लोग बुढ़ापे से निभाएं या ना निभाना चाहें 

लोग लड़कपन में जवान हो जाना चाहें 

मैं जवानी बीस वर्ष सबसे निभाया करती हूँ।


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