मैं एक फूल लाया हूं
मैं एक फूल लाया हूं
तोड़ कर वो शूल को, दफना दिए जमीं में।
जो दीवार बनकर खड़ा, हम दोनों के बीच में।
नहीं मिल पाएं हम तुमसे, फुरसत निकाल कर।
हम लक्ष्मण रेखा पार न कर सका, वन के बीच में।
क्या करूं मैं शिकस्त रहा, तेरे ही वादे पर।
मैं भूल कर भी न भूला, चले आए दौड़ कर।
आंसुओ के बहते धारा में, तेरी तस्वीर निचोड़ लाया हूं।
मैं एक फूल........................।
कठोर बेड़ियां पड़ी मेरे इश्क़ में, मैं न चल पाया।
मैं सोच में पड़ता गया, कैसे मैं तुमसे बात कर सकूं।
रोया बहुत तन्हाइयां में, तेरे बिना अकेलापन से।
मुझे जब भी आती है तेरी याद, कैसे मैं तुम्हें अपना सकूं।
मैं वक्त में बांधा गया, हर घड़ी तेरे इंतजार में।
अब क्या करेगा ये वक्त, जो लुटा दिए अपना दौलत तेरे प्यार में।
बस एक झलक बाकी हैं, जो तेरे होठों पर सजाया हूं।
मैं एक फूल......................।
खुशियों के मोड़ पर बिजली कड़कती रही, हम दोनों के बीच में।
आती रही काली आंधियां, मेरे सीने में दर्द बनकर।
मैं सहता रहा हर पल बस तेरे लिए, तुम्हारे होकर।
अब बदल नहीं सकता अपना इरादा, तुम्हें ही देखकर।
निभाऊंगा जिंदगी भर तेरे साथ, अंगारों पर गुजर कर।
इसलिए मैं जी रहा हूं तुम्हारे लिए, मैं अपने दिल में तुम्हें बसाया हूं।
मैं एक फूल लाया हूं।।