मैं दीया हूँ
मैं दीया हूँ
कोरोना काल मे मैं दीया बनकर,घर -घर गया
और देर सारे आशीर्वाद,कभी नही बुझने का पाया।
मैंने संदेश दिया तम को दूर भागने का,
लोगो की आँखों पर लगी काली पट्टी हटाने का,
प्रदूषण फैलाते जहरीले पटाकों से दूर रहने का,
स्वदेशी समान खरीद मिट्टी का दीया जलाने का।
क्योंकि मैं दीया हूँ, मेरा फर्ज हैं,
प्रकाशपुंज भारत बनाने का,
मैं दीया बनकर, बहुत से घरों में गया,
लेकिन मेरा मतलब नही किसी को जलाने का,
क्योंकि मैं जरिया हूँ दूसरों तक प्रकाश पहुँचाने का,
मैं भटक रहा उस तिमिस को दूर भगाने को,
क्योंकि मैं दीया हूँ, मेरा फर्ज हैं
प्रकाशपुंज भारत बनाने का,
एक संदेश और छूट गया, लोगो तक पहुँचाने का,
सरकार दे रही गाइड लाइन, मास्क जरूर लगाने का,
सोशल डिस्टेंस का पालन कर, हेंड सेनेटाइजर लगाने का,
पर मत भूलों तुम संस्कृति को हाथ जोड़कर अब चलने का,
क्योंकि मैं दीया हूँ, मेरा फर्ज हैं,
प्रकाशपुंज भारत बनाने का।
लोगों से मुझे अमर होने का वरदान मिला,
और कभी नही बुझने का आशीर्वाद मिला,
क्योंकि जब तक मैं हूँ तब तक
कोई तम भी पर नही मार सकता,
क्योंकि मैं दीया हूँ, मेरा फर्ज हैं,
प्रकाशपुंज भारत बनाने का।
