मैं औरत हूँ
मैं औरत हूँ
हाँ मैं औरत हू, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि मेरा कोई वज़ूद नहीं.. मेरी कोई पीड़ा नहीं.. मेरे कोई एहसास नहीं.. मेरे कोई ज़ज्बात नहीं.. अखिर हाल ये दिल किसे बताऊ क्योंकि मैं एक औरत हू...
जब कोई औरत बच्चे की पैदाइश के वक्त दर्द से चीख रही होती है, तड़प रही होती है तो मेरा दिल चाहता है कि उस वक्त उसके पति को ला कर इधर खडा कर दिया जाये ताकि उसे पता चले की उसकी बीवी उसके वंश को बढ़ाने की खातिर कैसे तड़प रही है, ताकि उसे बाद मे ये ना कह सके कि " तुमने क्या किया है मेरे लिए..?? तुमने औलाद पैदा कर के कोई अनोखा काम नही किया! कभी उसे घर से निकाल देने और तलाक़ की धमकी ना दे, एक पल मे ना कह दे उसके माँ बाप को के ले जाओ अपनी बेटी को !
#काश,
काश के एक पल मे औरत को एक कौडी का कर देने वाले मर्द भी उस दर्द का अंदाजा कर सके जो बीस हड्डियो के एक साथ टूटने के बराबर होती है!
#औरत.....
औरत क्या है? हॉट है, स्वीट है, या सड़क पर गिरा कोई नोट है?
अकेली दिखती है तो,.ललचाती है,.बहलाती है,
बड़े-बड़े योगियों को भरमाती है
अपनी कोख से जनती है, महारथियों को, फिर भी पाप का द्वार कहलाती है
चुप रहना ही स्वीकार्य है, अगर बोले तो मार दी जाती है..
प्रेम और विश्वास के नाम पर हर पल ठग ली जाती है..
जिस शरीर से मर्द को जन्म दिया, जिस छाती से उसका जीवन सींचा
उस छाती और शरीर के कारण ही वो उन की नजरों में आती है,
मेरा तन मेरा है, कह दे तो मर्यादा का उल्लंघन है..
और ये औरत ही विवाह समय बस दान में दे दी जाती है..
सब कहते है,..साहस भी है, अहसास भी है ईश्वर की रचना खास भी है
सम्मानित हो कर भी क्यों फिर औरत ही गाली में उतारी जाती है..
है कोई जबाब.......?
